💨धारा - 27 में बंजर भूमि एवं खाली जोतों की बंदोबस्ती विनिहित प्रपत्र में पट्टे या अमलनामें के द्वारा की जाएगी।
💨परंतु इसकी चार प्रतियां तैयार की जाएंगी, एक प्रति रैयत को, एक प्रति उपायुक्त को ,एक प्रति भूस्वामी को और चौथा ग्राम प्रधान या मूल रैयत को देने की व्यवस्था है।
💨धारा - 28 में बंजर भूमि या खाली जोत के बंदोबस्ती करने में अधिकार अभिलेख में लिखित सिद्धांतों के अतिरिक्त इन बातों पर ध्यान दिया जाएगा।
💨प्रत्येक की रैयत की आवश्यकताओं के अनुरूप भूमि का उचित और समानता पूर्व वितरण होना।
💨ग्राम समुदाय, समाज या राज्य के प्रति की गई सेवाओं के लिए विशेष मांगे।
💨रैयत की जमाबंदी भूमि से बंजर भूमि के सानिध्य ।
💨उन भूमिहीन श्रमजीवियों के हेतु व्यवस्था, जो गांव के वास्तविक स्थाई निवासी है तथा जिनके संबंध में गांव के अभिलेख में दर्ज है की इनका इसी गांव में निवास गृह है।
💨धारा - 29 में उपायुक्त के अनुमति के बिना कोई मूल रैयत या ग्राम प्रधान किसी मूल रैयत के साथ कोई बंजर भूमि या खाली जोत बंदोबस्त नहीं कर सकता है।
💨धारा - 30 में भूस्वामी के सहमति के बिना तथा उपायुक्त के आदेश के बिना कोई मूल रैयत या ग्राम प्रधान बंदोबस्ती भूमि का उपयोग तथा उप विभाजन नहीं किया जाएगा।
💨धारा -31 इस अधिनियम में दो या दो से अधिक ग्राम प्रधान ,सह -मूल रैयतों या भू-स्वामियों किसी ऐसे गांव में बंदोबस्त संयुक्त रूप से रखते हैं ।
💨परन्तु बंदोबस्त संयुक्त रूप से बंजर भूमि की बंदोबस्ती नहीं किये होते है ,ऐसे अवस्था में कोई उपायुक्त के यहाँ शिकायत दर्ज़ करता है ,तो उपायुक्त के विवेक से बंदोबस्ती को रद्द किया जा सकता है।
💨यदि कोई व्यक्ति ग्राम प्रधान या मूल रैयत या भूस्वामी के द्वारा बंजर भूमि खाली जोत की बंदोबस्ती से संतुष्ट नहीं हुआ हो।
💨तो इसके लिए 1 साल के अंदर उपायुक्त को आवेदन दे कर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।💨धारा -33 में बंदोबस्त की गई भूमि अगर 5 वर्ष अवधि के अंदर आबाद नहीं हुआ,तो इस बंदोबस्त को उपायुक्त के द्वारा रद्द किया जाएगा।
💨धारा - 34 के अनुसार उपायुक्त गांव के बंजर भूमि का उपयुक्त भाग अर्थात जाहेरथान, शमशान या कब्रिस्तान के क्षेत्र में उपयोग कर सकता है।
💨लेकिन अगर जाहेरथान, शमशान या कब्रिस्तान के लिए भूमि कम पड़ने लगे, तो उपायुक्त, ग्राम प्रधान, या मूल रैयत के सलाह से,अतिरिक्त उपयोग के लिए, बंजर भूमि का संपूर्ण भाग उसमें सम्मिलित कर सकता है।
💨धारा - 35 के अनुसार सिंचाई के लिए या पीने का पानी के लिए या बाढ़ से रक्षा के लिए, किसी बंजर भूमि की बंदोबस्ती रैयतों तथा ग्राम प्रधान या मूल रैयत या भूस्वामी या उपायुक्त के अनुमति के बिना बंदोबस्ती नहीं किया जा सकता है।
💨इन स्थानों पर सिंचाई, स्नान, धोने या पीने या घरेलू कार्यों के लिए उपयोग होने वाले पानी में कोई कर नहीं लगाया जाएगा।
💨धारा - 36 में गांव की सीमाओं पर की नालों, शमशान या कब्रिस्तान, शिविर स्थलों, सीमा चिन्हों,रास्ते एवं पूजा स्थलों को,कोई रैयत किसी अन्य प्रयोजन के लिए परिवर्तन नहीं करेंगे ।
💨इन सब का किसी रैयत के साथ बंदोबस्त भी नहीं होगी।💨गांव के भीतर मवेशी चराने के लिए जो भूमि रिकॉर्ड में दर्ज है, उसमें गांव के सभी रैयतों का यह अधिकार होगा कि वह अपने मवेशी को चारागाह या बंजर भूमि में चरा सकते हैं
💨 धारा - 38 के अनुसार कोई भूमि जो ग्राम चारागाह या गोचर के लिए रिकॉर्ड में दर्ज है, कोई भी व्यक्ति चराई के अलावा दूसरा काम के लिए उपयोग नहीं कर सकता है।
💨मवेशी चराने का अधिकार वन भूमि के पास सुरक्षित है।💨धारा - 39 के अनुसार भूस्वामी की अनुमति से रैयत अपने जोतों से भिन्न भूमियों में पीने या अन्य कार्यों के लिए जैसे :-तालाब, जलाशय इत्यादि बना सकता है।
💨भूस्वामी के साथ किए गए प्रबंध के अनुसार उस में मछली पालन तथा अन्य उत्पादन का उपभोग कर सकता है।💨 धारा -40 के अनुसार भूस्वामी या ग्राम प्रधान या मूल रैयत को किसी खास तालाब में मछली मारने का अधिकार या सिचाई का अधिकार प्राप्त है, इसमें ग्राम प्रधान द्वारा किसी प्रकार का कोई दखल नहीं किया जायेगा।
💨 धारा - 41 में पहाड़िया गांव में किसी बंजर भूमि या खाली जोत का किसी गैर पहाड़िया के साथ बंदोबस्त नहीं किया जा सकता है।
💨पहाड़िया वह गांव है जो कमिश्नर द्वारा उस रूप में अभिनीत है।💨धारा - 42 के अनुसार उपायुक्त कभी भी अपनी इच्छा से या प्राप्त आवेदन के आधार पर किसी व्यक्ति या मूल को कृषि भूमि से बेदखल कर सकता है ।